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18th Wedding Aniversary 

हमारे इस मधुर रिश्ते में नया आयाम आ जाये

तुम्हारे मौन तुम्हारी अनकही खामोसी जो सुन सकूँ

वो जज्बात जो आँखों में आकर पिघलती है

उन्ही जज्बात को खुशी की तुरपाई से बन सकूँ

 

दिल दुखा है तो कहीं कोई कसक होगी

दिल में दबी कोई पुरानी सी तड़प होगी

कोई अरमान कोई ख़्वाइश  जो पूरी न हो सकी

उन अरमान उन ख़वीश  को पूरी जो कर सकूँ

 

मुझको तुम्हारी हर उस क़ुरबानी का हवाला है

हर मोड़ पर  जैसे तुम्हने हमको संभाला है

अगर ज्यादा नहीं तो कम से कम एक काम कर सकूँ

अपनी हर खुशी को तुम्हारे नाम कर सकूँ

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